बलात्कार का दंश

बलात्कार से पीडि़त स्त्री को कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए


- अपने परिवार वालों या दोस्तों को बतायें 

 

-नहाए नहीं

 

-वह कपड़े जिनमें बलात्कार हुआ है, उन्हें धोए नहीं। यह सब करने से शरीर या कपड़ों पर होने वाले महत्वपूर्ण सबूत मिट जाएँगे। 

 

-बलात्कारी का हुलिया याद रखने की कोशिश करें।

 

-तुरंत पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) लिखवाएं। एफ.आई.आर. लिखवाते वक्त परिवार वालों को साथ ले जाएँ। घटना की जानकारी विस्तार से रिपोर्ट में लिखवाएँ।

 

-एफ.आई.आर. में यह बात जरुर लिखवाएँ कि जबरदस्ती(बलात्कार) सम्भोग हुआ है।

 

-यदि बलात्कारी का नाम जानती है, तो पुलिस को अवश्य बताएं।

 

-यह उस स्त्री का अधिकार है कि एफ.आई.आर. की एक कापी उसे मुफ्त दी जाए।

 

-यह पुलिस का कर्तव्य है कि वह स्त्री की डॉक्टरी जांच कराए। 

 

-डॉक्टरी जांच की रिपोर्ट की कापी जरुर लें।

 

-पुलिस जांच के लिए स्त्री के कपड़े लेगी, जिस पर बलात्कारी पुरुष के वीर्य, खून, बाल इत्यादि हो सकते हैं। पुलिस स्त्री के सामने उन कपड़ों को सील-बंद करेगी। उन सील बंद कपड़ों की रसीद जरुर लें। 

 

-कोर्ट में बलात्कार का केस बंद कमरे में चलता है यानि कोर्ट में केवल केस से संबंधित व्यक्ति ही उपस्थित रह सकते हैं।

 

-पीडि़त स्त्री की पहचान को प्रकाश में लाना अपराध है।

 

-पीडि़त स्त्री का पूर्व व्यवहार नहीं देखा जाना चाहिए।

 

अगर पुलिस एफ.आई.आर. लिखने से मना कर दे, तो आप निम्न जगहों पर शिकायत कर सकते हैं :-

-कलेक्टर

 

-स्थानीय या राष्ट्रीय समाचार पत्र

 

-राष्ट्रीय महिला आयोग

 

कानून बलात्कार से पीडि़त महिला को क्रिमिनल इज्यूरीस कंञ्पेन्सेशन बोर्ड के द्वारा आर्थिक मुआवजा भी दिलवाता है।






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