पिंक बॉल टेस्ट / बांग्लादेश एक मैच में दो सब्स्टिट्यूट लेने वाला पहला देश बना, इसी साल अगस्त में आईसीसी ने बदले थे नियम
- भारत-बांग्लादेश के बीच कोलकाता में खेला जा रहा पहला डे-नाइट टेस्ट
- हेलमेट पर गेंद लगने के चलते लिटन दास, नईम हसन चोटिल हुए थे
- कन्कशन सब्स्टिट्यूट के तौर पर तैजुल और मेहदी मैदान पर उतरे
- आईसीसी ने 1 अगस्त, 2019 से बदला है नियम
खेल डेस्क. बांग्लादेश एक ही मैच में दो सब्स्टिट्यूट लेने वाला पहला देश बन गया है। ये वाकया भारत के खिलाफ कोलकाता टेस्ट के पहले दिन हुआ। जब बल्लेबाजी के दौरान हेल्मेट पर गेंद लगने के चलते विकेटकीपर बल्लेबाज लिटन दास और नईम हसन मैच से बाहर हो गए।
मैच के दौरान मोहम्मद शमी की एक गेंद दास के हेलमेट पर लगी थी। इसके बाद कुछ देर के लिए खेल रोकना पड़ा और फिजियो ने आकर बांग्लादेशी बल्लेबाज की जांच की थी। हालांकि इसके बाद भी वह बल्लेबाजी करते रहे। लेकिन लंच से पहले वह रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर चले गए थे।
आईसीसी के नए नियम के तहत मैदान में उतरे दो सब्स्टिट्यूट
आईसीसी के नए नियम के तहत बांग्लादेश टीम ने इन दोनों खिलाड़ियों की जगह मैदान पर कन्कशन सब्स्टिट्यूट उतारे। नईम के स्थान पर तैजुल टीम में आए, जबकि चोटिल लिटन के स्थान पर मेहदी हसन को टीम में शामिल करना पड़ा।
एक अगस्त से नियमों में हुआ है बदलाव
इसी साल अगस्त में हुई एशेज सीरीज से पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद(आईसीसी) ने चोटिल खिलाड़ी की जगह सब्स्टिट्यूट लेने का निर्णय लागू किया है। नियम के मुताबिक अगर कोई खिलाड़ी चोटिल होता है तो उसकी जगह दूसरा ले सकेगा। वह बल्लेबाजी, गेंदबाजी और विकेटकीपिंग भी कर सकता है। ऐसे खिलाड़ियों को कन्कशन सब्स्टिट्यूट कहा जाएगा। ऐसे खिलाड़ी को मैदान पर उतारने का फैसला मैच रेफरी करेंगे।
पहले सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी फील्डिंग ही कर सकता था
इस नियम के लागू होने से पहले तक सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी को सिर्फ फील्डिंग करने छूट दी जाती है। नियम के मुताबिक, बल्लेबाज के चोटिल होने पर बल्लेबाज और तेज गेंदबाज अगर चोटिल होता है तो उसकी जगह दूसरे गेंदबाज को शामिल किया जा सकेगा। ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज मार्नस लबुशाने इस नियम के तहत मैदान पर उतरने वाले पहले सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी थे। वह इसी साल अगस्त में एशेज सीरीज के दूसरे टेस्ट में स्टीव स्मिथ की जगह मैदान पर आए थे।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की मौत के बाद चर्चा शुरू हुई
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनर फिलिप ह्यूज के निधन के बाद इस नियम को लेकर चर्चा शुरू हुई थीं। ह्यूज को 2014 में शेफील्ड शील्ड टूर्नामेंट के एक मैच में सिर पर बाउंसर लगी थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी थी।
ऑस्ट्रेलिया की घरेलू सीरीज में पहली बार इसका इस्तेमाल हुआ
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले 2016-17 सीजन में कन्कशन सब्स्टिट्यूट के नियम का इस्तेमाल घरेलू वनडे (पुरुष-महिला दोनों), बिग बैश और महिला बिग बैश सीरीज में किया था। आईसीसी से इस नियम को स्वीकृति नहीं मिलने के कारण वह शेफील्ड शील्ड और अन्य प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट में इसका इस्तेमाल नहीं कर सका था।