पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस तीनों सीटें जीत रही है. इनमें से दो सीटें तो ऐसी हैं, जिन पर टीएमसी पिछले 20 साल से जीत हासिल नहीं कर पा रही थी.


बंगाल उपचुनाव परिणाम: TMC का तीनों सीटों पर कब्‍जा, BJP के हाथ खाली, ममता बनर्जी बोलीं- ये BJP के अहंकार का नतीजा


WB Bypoll Result: इनमें से दो सीटें तो ऐसी हैं, जिन पर टीएमसी पिछले 20 साल से जीत हासिल नहीं कर पा रही थी. इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा अपने अहंकार का नतीजा भुगत रही है.











नई दिल्ली: 

West Bengal Bypoll Results: पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस तीनों सीटें जीत रही है. इनमें से दो सीटें तो ऐसी हैं, जिन पर टीएमसी पिछले 20 साल से जीत हासिल नहीं कर पा रही थी. इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा अपने अहंकार का नतीजा भुगत रही है. उन्होंने कहा, 'अहंकार की राजनीति नहीं चलेगी. लोगों ने भाजपा को ठुकरा दिया.' टीएमसी ने खड़गपुर सदर और कलियागंज सीट पर तीन दशक के बाद जीत हासिल की है. कलियागंज सीट पर टीएमसी के तपन देब ने जीत हासिल की है. तपन ने भाजपा के कमल चंद्र सरकार को 2 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. वहीं करीमपुर सीट पर टीएमसी आगे बनी हुई है. 


बता दें, पश्चिम बंगाल में विधानसभा की तीन सीटों पर 25 नवंबर को हुए उपचुनाव (Bengal Bypoll) की मतगणना गुरुवार को सुबह आठ बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुई. विधानसभा की तीन सीटों- खड़गपुर सदर, कालियागंज और करीमपुर के लिए हुए उपचुनाव में 18 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला होना है. इस चुनाव में पश्चिम बंगाल में करीब सात लाख से अधिक मतदाताओं में से 75.34 फीसदी ने वोट डाले थे. वहीं उत्तराखंड में करीब 50 हजार लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. पश्चिम बंगाल की करीमपुर, खड़गपुर सदर और कालीगंज और उत्तराखंड की पिथौरागढ़  विधानसभा सीट पर 25 नवंबर, सोमवार को मतदान हुआ था. पश्चिम बंगाल में चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष हुआ है. 


कांग्रेस-माकपा, तृणमूल और बीजेपी के बीच कड़ा चुनावी संघर्ष देखने को मिला है. महुआ मोइत्रा के कृष्णानगर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद करीमपुर सीट खाली हो गई थी. खड़गपुर सदर के विधायक के भी इस साल लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी जबकि कालियागंज के कांग्रेस विधायक प्रमथनाथ रे के निधन के बाद यहां उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और माकपा तीन वर्षों के बाद इस उपचुनाव में एक साथ लड़ी हैं.






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