रिश्वत की मांग करने पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा शुक्रवार के दिन जिले में तीसरी बड़ी कार्यवाही की गई

ब्याज अनुदान के नाम पर यह अधिकारी  मांग रहा था ढाई हजार,लोकायुक्त की छ: सदस्यीय टीम ने रंगे हाथो किया गिरफ्तार
बैतूल। रिश्वत की मांग करने पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा शुक्रवार के दिन जिले में तीसरी बड़ी कार्यवाही की गई। इसके पहले अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में बिजली विभाग के एक अधिकारी को भी लोकायुक्त ने नगद राशि के साथ गिरफ्तार किया था। जबकि गुरूवार के दिन पुलिस विभाग में पदस्थ अधिकारी को ट्रैप करने लोकायुक्त टीम भैंसदेही पहुंची थी। शुक्रवार दोपहर को नवीन कलेक्ट्रेट भवन के परिसर में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक अधिकारी को लोकायुक्त पुलिस ने फरियादी की शिकायत पर नगद राशि के साथ गिरफ्तार किया। जानकारी के अनुसार मुलताई निवासी आशीष पाटिल ने वर्ष 2018 में कोल्ट्री फार्म के लिए 8 लाख रूपए का लोन जिला अंत्यावसायी शाखा से स्वीकृत कराया था। नियमानुसार ब्याज अनुदान के लिए शासन द्वारा उसे इस वर्ष 25 हजार रूपए की सब्सिडी प्राप्त होनी थी, लेकिन इसी शाखा में पदस्थ फील्ड आफिसर उमेश जैन सब्सिडी की राशि खाते में जमा करने के एवज में 10 परसेंट यानि ढाई हजार रूपए की मांग कर रहे थे। पीडि़त युवक ने इस  बात की शिकायत गुरूवार के दिन भोपाल स्थित लोकायुक्त के कार्यालय में एसपी को दी। साथ ही लेन-देन से संबंधित कुछ प्रमाण भी एसपी के समक्ष प्रस्तुत किए। इसके बाद शुक्रवार दोपहर को लोकायुक्त की छ: सदस्यीय टीम ने फील्ड आफिसर उमेश जैन को 2 हजार की नगर रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।
भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा के तहत हुई कार्रवाई
लोकायुक्त की छ: सदस्यीय टीम में शामिल निरीक्षक वीके सिंह, मनोज पटवा, हेड कांस्टेबल विक्रम रावत, कांस्टेबल नेहा परदेशी, हेमंत ठाकुर, हेमेन्द्र पाल, शासकीय गवाह कन्हैया स्वामी, एम राजू ने फील्ड आफिसर को रिश्वत लेते रंगे हाथो गिरफ्तार करते हुए भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 के तहत कार्यवाही की। टीम में शामिल निरीक्षक मनोज पटवा ने बताया कि ब्याज अनुदान के नाम पर रिश्वत मांगे जाने की शिकायत मुलताई निवासी आशीष द्वारा की गई थी, जिसमें फील्ड आफिसर जैन द्वारा रिश्वत मांगे जाने के प्रमाण भी प्रस्तुत किए थे। इसके बाद आशीष को पाऊडर लगे नोट टीम द्वारा प्रदान किए गए। मौके पर जब फील्ड आफिसर उमेश जैन और आशीष के हाथ धुलवाए गए तो पानी गुलाबी हो गया। हालांकि इस मामले में उमेश जैन का कहना है कि उसने रिश्वत की मांग नहीं की थी, जबकि ब्याज अनुदान बैंक के खाते में पहुंचा दिया गया था।


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