नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment bill) के लोकसभा और फिर राज्यसभा में पारित होने के बाद पाकिस्तानी हिंदू विस्थापितों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.

नागरिकता संशोधन बिल संसद में पारित होने पर इस बड़े इलाके में खुशी की लहर


राजस्थान में नागरिकता का इंतजार कर रहे 25 हजार से अधिक पाकिस्तानी हिंदुओं को इस बिल के जरिए उम्मीद की किरण मिल गई।








कुछ खास 






  1. उम्मीद- बिल के पास होने के बाद कानूनन हिंदुस्तानी बन जाएंगे

  2. वे सभी अधिकार मिल जाएंगे जिनके बिना हर दिन परेशानी होती थी

  3. विस्थापितों को नौकरी पाना और भारत में रहना आसान हो जाएगा




 


जयपुर: 

नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment bill) के लोकसभा और फिर राज्यसभा में पारित होने के बाद पाकििस्तानी हिि्दू विस्थापित में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. संसद में भले ही इस बिल पर जोरदार बहस चली, विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलावर रहा, पूर्वोत्तर सहित देश के कुछ हिस्सों में इस विधेयक का भले ही तीखा विरोध हो रहा है, लेकिन राजस्थान में बसे विस्थापितों को इस बिल के जरिए उम्मीद की किरण मिल गई है.    


राजस्थान में 25 हजार से अधिक पाकिस्तानी हिंदू नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं. हजारों लोग एक दशक से अधिक वक्त से नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे हैं. कई परिवार तो ऐसे हैं जिनमें पति-पत्नी को नागरिकता मिल गई, लेकिन बेटे-बेटियों को नहीं मिली. अब इन लोगों को उम्मीद है कि इस बिल के पास होने के बाद वे कानूनन हिंदुस्तानी बन जाएंगे. उन्हें वे सभी अधिकार मिल जाएंगे जिनके नहीं मिलने से वे अभी तक हर दिन परेशानी का सामना कर रहे थे.


राजस्थान की पश्चिमी सरहद का करीब एक हजार किलोमीटर का हिस्सा पाकिस्तान से सटा हुआ है.
सन 1947 के बाद कई बार यहां पाकिस्तान के सिंध से विस्थापित आए और यहां बस गए. उन्हें अब उम्मीद है कि अगर उन्हें नागरिकता मिल गई तो नौकरी पाना और भारत में रहना उनके लिए आसान हो जाएगा.


शरणार्थी गोवर्धन दास मेघवाल ने कहा कि "हमें बहुत परेशानी हुई. शुरू में कोई मकान किराये पर नहीं देता था. कोई पहचान पत्र नहीं था, आधार कार्ड नहीं था. कहीं काम करने जाते तो वह पहचान पत्र मांगते." आसान मेघवाल कहते हैं कि "हमको यहां आए हुए 19 साल हो गए. दो साल पहले मेरी और मेरी पत्नी की नागरिकता हो गई लेकिन बच्चों की अब तक नहीं हुई."


एक तरफ जहां अब इस बिल पर संसद में बहस छिड़ गई है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी विस्थापितों के साथ काम करने वाली संस्थाएं कहती हैं कि यह विभाजन के बाद किया गया वादा था, जो अब पूरा हो रहा है.


निमितीकम संस्था  के अध्यक्ष जय आहूजा कहते हैं कि "नार्मल फॉरेनर की एक केटेगरी थी और पाकिस्तान, ईस्टर्न पाकिस्तान और अफगानिस्तान की एक केटेगरी थी. तभी यह आइडेंटिफाइड  हो गया था कि अविभाजित भारत के हिस्से की माइनॉरिटीज पर त्रासदी होती है. इसलिए नेहरू ने इनके लिए एक ओपनिंग रखी थी. अभी वर्तमान सरकार ने उनको रिलेक्सेशन देते हुए उनके लिए नागरिकता आसान की है."


नागरिकता संशोंधन विधेयक ( CAB) जो भी रूप ले,  लेकिन यहां राजस्थान में पाकिस्तानी विस्थापितों के लिए यह एक उम्मीद की किरण जरूर है.





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